कैसे कह दूँ!

कैसे कह दूँ कि तुमसे प्यार है मुझे,
कैसे कह दूँ कि ना चाहते हुए भी खोने लगा हूँ तुम में,
तेरी हर अदा अब अच्छी लगने लगी है,
इंतज़ार करने लगा हूँ तेरे एक शब्द को सुनने का, तेरी एक झलक पाने का,
कैसे कह दूँ...




खुद को समझाता हूँ,
और थक कर बैठ जाता हूँ।
अपने भीतर इक उफनते समुद्र को समेटे
शान्त बैठा हूँ मैं,
क्योंकि मैं जानता हूँ,
 तू किसी सीप में छुपी मोती सी है,
और मैं किनारे पर बिखरे रेत के एक दाने सा....
©kaun_kunal (Kunal Jha)
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